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लेखनी कहानी -01-Dec-2021

             शिक्षक

मैं उनके बारे में कुछ लिख रहा हूं जिन्होंने मुझे पढ़ना लिखना सिखाया।
याद नहीं है कि उनको कितनी फीस मिलती होगी जिन्हें पाकर वो हमें घंटों पढ़ाया करते थे; जो कुछ भी जानते, सब बताया करते थे। हम बैठे रहते थे, कभी पैर पसारकर तो कभी दोस्तों के गले में हाथ डालकर लेकिन वो पूरे पीरियड खड़े होकर पढ़ाया करते थे।
जब हम late हो जाए तो हमें जो डांटा करते थे, सोचो उनका समय पर पहुंचना कितना आवश्यक होगा। कभी वो बिना खाए तो कभी बिना टिफिन लिए भी आते होंगे लेकिन फिर भी हमें घंटो बोलकर पढ़ाते थे। कभी उन्हें भी बुखार आता होगा लेकिन फिर भी वो हमें पढ़ाने आते थे। जब उनके सर में दर्द होता था तो इतना ज़रूर कहते थे कि आज ज्यादा बोल नहीं पाऊंगा और ये कहते कहते पूरा टाइम बोलकर ही पढ़ाते थे।

अगर कुछ बच्चे आपस में उनके पढ़ाने के तरीके, उनकी वेशभूषा का मजाक भी बनाया करते थे तो भी वें सुन के अनसुना कर देते थे और किसी दूसरी तरह सबको समझाया करते थे; क्योंकि वो जानते थे कि यहां और भी छात्र हैं जो उनका सम्मान करते हैं, बस इसी से खुश हो वो पढ़ाया करते थे। श्यामपट्ट पर श्वेत पत्थर से लिखकर पढ़ाते थे, फिर भी समझ न आए तो कविता गाकर पढ़ाते थे। ये भी कहते थे कि समझ न आए तो सत्रह बार पूछ लो लेकिन 3 बार से ज्यादा बार पूछो तो डांट लगाते थे लेकिन हंसते हंसाते हुए पढ़ाते थे। अगर हम शैतानी करें तो भी हमें सम्मान पूर्वक समझाते थे और अगर शैतानी इतनी हो कि school से नाम कटने वाला हो तो वें प्रधानाचार्य से हमारी नाम न काटने की बात करते थें। वो मेरी शिकायत मेरे अभिभावक से किया करते थे लेकिन नहीं जानता था कि वो मेरे अच्छे के लिए ही ऐसा करते हैं और हां; मेरी तारीफ भी किया करते थे,ये भूल नहीं सकता। हम नहीं जानते थे कि उनकी सख्ती हमारे अच्छे के लिए हैं। मैं नहीं feel कर सकता कि जब उन्होंने किसी बच्चे को पीटा होगा तो उन्हें कितना दुख हुआ होगा; हां, अगर आप teacher हो तो शायद feel कर सको।

मैं जानता हूं कि जब exam students के होते हैं तो students से ज्यादा pressure आप पर होता है।
अगर students के marks अच्छे आते हैं तो आप बच्चे की ही तारीफ करते हैं लेकिन अगर marks कम आए तो आपको बहुत दुख होता है और students के अभिभावक आप से ही प्रश्न करते हैं कि आपने पढ़ाया क्या है?
Teachers day पर छात्र उन्हें अभिभावक से पैसे मांगकर महंगा तोहफा दिया करते थे। तो कोई उन्हें एक छोटा सा तोहफा दिया करते थे लेकिन वो उसमें भी खुश हो जाया करते थे क्योंकि वो जानते थे कि 5 रुपिया के pen का use करने वाला बच्चा 20 ruppees के pen ka gift कई दिनों से अपनी पॉकेट मनी बचाकर किया है।
जो हम कागज को काटकर greeting card बनाते थे,वो उसे शायद महीनों संभाल के रखते थे। क्या इसके भी उन्हें फीस मिलती थी? क्या सिर्फ फीस के लिए कोई इतना कर सकता है? आज भी यदि वर्षों बाद उन्हें फोन करेंगे तो वो ही और ये ही पूछेंगे कि बेटा ठीक हो और ये जानते हुए भी कि वर्षों से इसने खबर नहीं ली। क्या इसके भी उन्हें फीस मिलती है? मुफ्त में अगर कुछ मिलता तो शायद गुरु दक्षिणा का अस्तित्व ही नहीं होता। वो फीस लेते हैं जिससे आप उनके ज्ञान को अर्जित कर सकें,यदि आपने उनसे मुफ्त में ज्ञान लेना भी चाहा तो वो आपको ज्ञान अवश्य देंगे लेकिन आप उस ज्ञान को अर्जित नहीं कर पायेंगे।

#प्रतियोगिता हेतु

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7 Comments

Aniya Rahman

01-Jul-2022 06:18 PM

Nice

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Arvaz Ahmad

01-Jul-2022 01:27 PM

Nice

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Kaushalya Rani

14-Dec-2021 08:46 PM

Nice

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